बस्तर के नगरनार में निर्माणाधीन नगरनार मेगा स्टील प्लांट को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा स्टैंड लिया है। सरकार ने सोमवार को विधानसभा में एक संकल्प पारित किया। इसमें कहा गया, अगर केंद्र सरकार इस प्लांट का विनिवेश करती है ताे छत्तीसगढ़ सरकार उसे खुद खरीदेगी। संकल्प पेश करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहा, यदि केंद्र सरकार नगरनार का विनिवेशीकरण हुआ तो उसे छत्तीसगढ़ सरकार उसे खरीदेगी। विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, इस मामले में दिल्ली जाकर भी बात की जाएगी।
सरकार यह प्रस्ताव 23 दिसम्बर को ही पारित कराना चाहती थी। लेकिन विपक्ष ने विनिवेश संबंधी केंद्र के प्रस्ताव की जानकारी मांगी थी। मुख्यमंत्री ने विपक्ष की बात को तवज्जो देते हुए सोमवार को दोबारा प्रस्ताव पेश किया। सोमवार को भी प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने आपत्ति की। अजय चंद्राकर ने कहा, आप यह क्यों नहीं कहते कि विनिवेश हुआ तो नगरनार प्लांट को राज्य सरकार चलाएगी। विपक्ष का कहना था, बालको के विनिवेशीकरण के दौरान अजीत जोगी सरकार ने ऐसा प्रस्ताव दिया था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सरकार विपक्ष के इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है। विनिवेश की स्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार नगरनार स्टील प्लांट को खरीदने का प्रस्ताव रखती है। राज्य सरकार खुद इस स्टील प्लांट का संचालन करेगी। इसे निजी हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव के बाद विपक्ष के विधायकों ने विनिवेश नीति और बस्तर की स्थिति को लेकर सवाल उठाए। हांलाकि थोड़ी देर तक चर्चा के बाद प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हो गया।
संसदीय कार्यमंत्री बोले, सपना टूटा तो निपटना आसान नहीं होगा
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, बस्तर में समानांतर सरकार चल रही है। उसके बावजूद युवाओं को बेहतर की उम्मीद है। आज अगर सार्वजनिक क्षेत्र के कारखाने को निजी हाथों में दे दिया गया तो हमें चरमपंथियों से लड़ना होगा। उन्होंने कहा, बस्तर का जनजीवन बेहद आंदोलित है। अगर वहां के लोगों का सपना टूटा तो केंद्र सरकार के लिए भी निपटना आसान नहीं होगा।
केंद्र सरकार ने दिया है विनिवेश का प्रस्ताव
राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के नगरनार स्टील संयंत्र को केंद्र सरकार ने निजी हाथों में बेचने का फैसला किया है। अक्टूबर 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने नगरनार प्लांट को एनएमडीसी से अलग करने का फैसला किया था। तब सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया था, एनएमडीसी से अलग होने के बाद केंद्र सरकार इसमें अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी। इसका सैद्धांतिक फैसला हो चुका है। विनिवेश की प्रक्रिया सितम्बर 2021 तक पूरी होनी है।
17 हजार करोड़ खर्च कर चुकी है सरकार
बस्तर के नगरनार में 1980 एकड़ में निर्माणाधीन नगरनार मेगा स्टील प्लांंट की उत्पादन क्षमता 30 लाख टन प्रतिवर्ष प्रस्तावित है। इसके निर्माण पर 23 हजार 140 करोड़ रुपए की लागत आंकी गई है। सरकार अभी तक 17 हजार 200 करोड़ रुपए से अधिक की रकम खर्च कर चुकी है। इसमें एनएमडीसी ने 16 हजार 662 करोड़ रुपया खर्च किया है। शेष 524 करोड़ रुपए बांड के जरिए जुटाए गए हैं।