किसी शायर ने लिखा है, ‘मुसीबतों ने मुझे काले बादल की तरह घेर लिया, जब कोई राह नजर नहीं आई तो मां याद आई।’ छत्तीसगढ़ में एक मां ने जब कहा, बेटा घर लौट आ। अब आंखें बूढ़ी हो गई हैं, जी भर के तुझे देखना चाहती हूं। इस पुकार ने असर दिखाया और बेटे ने नक्सलवाद की राह छोड़ हथियार डाल दिए। 5 साल तक नक्सलियों के लिए लड़ने वाला बामन, अब DRG (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहा है।
यह कहानी है, दंतेवाड़ा जिले के नक्सलगढ़ कहे जाने वाले गढ़मिरी गांव की। यहां रहने वाली मंगली का 15 साल का बेटा बामन खेलने और पढ़ने की उम्र में नक्सली संगठन में शामिल हो गया। उसके हाथों में हथियार थमा दिए गए। वह नक्सलियों की कटेकल्याण एरिया कमेटी के बड़े नक्सली नेता कोसा, मंगतू, बुधरा, जगदीश के साथ काम करता। वहीं मंगली अपने बेटे के लिए रोज गुहार लगाती। इसका असर हुआ और 20 साल की उम्र में बामन लौट आया।
मंगली ने कहा- मेरा बेटा, मेरे बुढ़ापे की लाठी, लोन वर्राटू अभियान में किया सरेंडर
दंतेवाड़ा पुलिस, लोन वर्राटू (घर वापस आओ) अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत अब तक 350 नक्सली सरेंडर कर चुके है। SP डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि नक्सली बामन पोड़ियाम ने जनवरी 2021 में सरेंडर किया था। बामन अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। पिता खेती किसानी करते हैं। बामन की पत्नी और 2 छोटी बहनें भी हैं। घर की सारी जिम्मेदारी उसी पर है। मां मंगली कहती है, मेरा बेटा, मेरे बुढ़ापे की लाठी है।
सरेंडर किया तो नक्सलियों ने दी हत्या की धमकी, अब तक गांव नहीं लौटा
बामन कभी नक्सल संगठन में रहकर DRG जवानों पर हमला करता था। अब खुद उसी टीम का हिस्सा है। अब वह काली नहीं, बल्कि खाकी वर्दी पहनता है। टीम के साथ नक्सल ऑपरेशन पर भी जाता है। बामन बताता है कि जब सरेंडर किया तो नक्सलियों ने मां को धमकी दी, कि वो मुझे मार देंगे। सरेंडर करने के बाद अब तक गांव नहीं गया। उसने कहा, जब नक्सल संगठन में था तब एनकाउंटर का डर रहता था, पर अब देश सेवा कर रहा हूं।