रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि डॉ. रमन सिंह ने अपने शासनकाल में युवाओं को रोजगार देने के सारे अवसरों को रोककर रखा था, जिसे हमने पूरी तरह से खोल दिया है। इसी का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरियों का बूम आया हुआ है। छत्तीसगढ़ में जब भाजपा सरकार का आखरी साल चल रहा था तब बेरोजगारी दर 22.2 प्रतिशत थी। हमारी सरकार आने के बाद बेरोजगारी दर कम होते होते अब 1.8 प्रतिशत से लेकर 3.8 प्रतिशत तक चल रही है। राजीव भवन में आज मीडिया से बातचीत करते हुए रविन्द्र चौबे ने कहा कि डॉ.रमन सिंह ने कल हमारी सरकार के द्वारा दिये गये रोजगार के आंकड़ों को ट्वीट किया था। फिर किसी दबाव में आकर उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। इस बारे में हम सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि आपने अपने भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसी बहाने कुछ सोचने और कुछ कहने का मौका तो दिया। सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकॉनामी के ताजा आंकड़े हाल ही में जारी हुए हैं जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर 2.1 प्रतिशत है। जबकि इसी दौरान भारत में बेरोजगारों की दर 7.9 प्रतिशत है। इससे यह साबित होता है कि छत्तीसगढ़ राज्य में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। हमारा सवाल है यह कि क्या आप CMIE के आंकड़ों को झूठा कहना चाहते हैं। अगर CMIE के आंकड़े सही है तो छत्तीसगढ़ में रोजगार के आंकड़े कैसे गलत हो सकते हैं। खास बात यह है कि पिछली तिमाही में जब छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 3.8 प्रतिशत थी तब भारत की बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत थी। अभी जब हमारी बेरोजगारी दर कम होकर 2.1 प्रतिशत आई है तब भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.9 प्रतिशत हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में हमारी सरकार जो काम कर रही है उससे रोजगार के अवसर कैसे बढ़े यह समझना है तो सिर्फ शहरों ही नहीं बल्कि गांवों और जंगलों में जाकर देखना पड़ेगा। यह नौकरियां सिर्फ राजधानी या बड़े शहरों में ही नहीं दी गई बल्कि विकासखण्डों और पंचायत स्तर तक पहुंची हैं। राज्य गठन के बाद पहली बार स्कूलों के लिए स्थायी शिक्षकों की भर्ती की बात हमने की। 14 हजार 580 शिक्षक-शिक्षिकाओं की वैकेंसी निकाली और भर्ती की प्रक्रिया पूरी की। अब कुछ कारणों से कुछ लोगों ने ज्वाइन नहीं किया होगा तो इसका यह मतलब नहीं कि इस पूरी भावना, पूरी प्रक्रिया को ही खारिज कर देंगे। इसी तरह कॉलेजों में स्थाई प्राध्यापक,खेल शिक्षक, ग्रंथपाल आदि की भर्ती भी राज्य गठन के बाद पहली बार की गई। हमने जनता से जुड़े बड़े विभागों जैसे-शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य, पुलिस, राजस्व, सिंचाई, खाद्य हर विभाग में जितने हो सकते थे उतने पद निकाले। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए तो हमने नियमों को भी शिथिल किया और 3300 लोगों को स्थाई नौकरी देने का इंतजाम किया। हमने सुना है कि ढाई लाख अनियमित कर्मियों की भर्ती को लेकर, लगभग डेढ़ लाख लोगों के नियमितीकरण के आंकड़ों को लेकर भाजपा को बहुत आपत्ति है। हम पूछना चाहते हैं कि जिन विभागों, मण्डलों, निगमों, निकायों तथा अन्य संस्थाओं में स्थायी भर्ती के पद नहीं हैं, वहां यदि प्लेसमेंट या किसी अन्य माध्यम से युवाओं को काम करने, अनुभव हासिल करने, बेहतर वेतन पाने का अवसर मिल रहा है तो इसमें क्या बुराई है। जिन कर्मियों का नियमितीकरण होता है, उन्हें नियमित वेतनमान, अवकाश,स्थानांतरण जैसे अनेक सुविधाएं मिलने लगती हैं। यह पैसा भी सरकार के खजाने से ही जाता है। प्रदेश में उद्योगों के विकास की जो नीति बनाई गई है, जो सुविधाएं दी गई है, उसके कारण तीन साल में 32 हजार लोगों को रोजगार मिला है और 90 हजार नौकरियों की संभावनाएं बनी हैं। इसी तरह व्यापार, व्यवसाय और छोटे करोबार के लिए जो सुविधाएं दी गई हैं उससे बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार मिला है। रविन्द्र चौबे ने कहा कि अभी चार रोज पहले ही मुख्यमंत्री जी ने जलसंसाधन विभाग में 400 सब इंजीनियरों की भर्ती की घोषणा की है। पांच नये जिले बनाए हैं, जिसमें से अभी एक अस्तित्व में आया है। 04 जिले, 04 अनुभाग, 72 तहसील, इसमें भी बहुत बड़े पैमाने पर भर्ती होना बाकी है। 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम शाला खुल चुकी हैं। हिन्दी वाली भी खुलेंगी। इन सब में भी बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती, आज नहीं तो कल होना ही है। आदिवासी अंचलों में कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन किया गया है और इसके माध्यम से भी भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हम यह नहीं कहते है कि रोजगार के लिए सिर्फ सरकारी नौकरियां ही काफी हैं। इसलिए हमने सभी विभागों के कामकाज और जमीनी अवसरों को रोजगार से जोड़ दिया है। नरवा-गरूवा-घुरूवा-बारी, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना, 07 से बढ़ाकर 52 लघुवनोपजों की खरीदी, वन अधिकार पट्टे से खेती और अन्य रोजगार के अवसर। इन सब को भी देखना पड़ेगा। धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या 15 लाख से बढ़कर 24 लाख हो गई है। 14 लाख लोगों को वन के विभिन्न कामों से रोजगार। 25 लाख लोगों को मनरेगा में काम दिया गया है। 19 लाख लोगों को इंदिरा वन मितान योजना से लाभ मिला है। वनोपज संग्रह से लेकर डेयरी विकास तक में महिला स्व सहायता समूहों का योगदान है। गोधन न्याय योजना में ही 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।